Rekha mishra

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लेखनी कहानी -19-Nov-2021

                        परिवार की एकता 

आधुनिक समय में संयुक्त परिवार कम ही देखने मिलते हैं, और जो हैं भी वहाँ एकता  कम लड़ाई झगड़े ज्यादा होते है, यूँ कहिये के आज का समय कुछ ऐसा है दूर रहो  तो  मनो  में प्यार की गुंजाईश है  वरना तो खैर  छोड़िए। हमारे सामने  एक परिवार था एक  बहुत बड़ा संयुक्त परिवार जिसमें कहने को सब साथ लेकिन सिर्फ कहने को, एक ही माँ के चार  बेटे उनमे से तीन एक घर में केवल एक ने पास की  जमीन लेकर  घर  बनाया  लेकिन वो  भी एकदम पास तो वो परिवार थोड़ा सुकून से रहता था, बाकी  तीन रोज कभी भी किसी भी बात पर बवाल कर सकते थे, लेकिन हाँ बच्चों में लगाव था, माँ तो लड़ाई करती पर  बच्चे सब मिलकर रहते यही तो एक  सबसे प्यारी बात है संयुक्त परिवार की तो अब हुआ यूँ बूढी माताजी का देहांत हुआ और फिर चालू हुई बटवारे की बातें  फिर मनमुटाव और बढ़ता चला गया बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ता ही है, फिर घर के लोगों में पहली सी बात ना रही। सब टूटा  बिखरा ऐसे में एक बुरी बात ये हुई कि सबसे छोटी  बहू को केंसर की बीमारी बताई गई और वो भी अंतिम स्टेज तो ये बात पूरे घर को हिला देने वाली थी, बहू की डायलिसिस होती उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ती चली गई और एक दिन उनका भी देहांत हो गया बस वो घड़ी ऐसी थी जब परिवार सच में एक साथ खड़ा हुआ खुशी हुई लेकिन इंसान के जाने का  दुख बहुत ज्यादा तबसे सब मिलकर रहते हैं हाँ अब उनमे से एक परिवार दूसरी जगह जा  बसा है लेकिन रौनक भी चली सी  गई है। लेकिन अब वो ढंग से रहते है क्यूंकि अब सब दूर भी हैं। तो आजकल के सभी लोगों से ये मेरा तजुर्बा है कि दूर रहोगे तो प्यार रहेगा पास में सिर्फ तकरार। में खुद संयुक्त परिवार में हूँ अभी तक सब ठीक है लेकिन अगर ऐसी स्थिति आती है तो मैं भी ये राह चुनूंगी।क्यूंकि मानसिक शांति बहुत बड़ी खुशी है। 

By-Rekha mishra 

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5 Comments

Swati chourasia

20-Nov-2021 09:00 PM

Very beautiful 👌

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Rekha mishra

20-Nov-2021 11:19 AM

Thanks

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Seema Priyadarshini sahay

20-Nov-2021 11:08 AM

बहुत बेहतरीन कहानी

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